8 September 2024

NEWSTODAYJ : Chhath festival 2023 (न्यूज़ टुडे झारखंड स्पेशल 2023) लोक आस्था का महान चार दिवसीय पर्व सूर्यषष्ठी व्रत आज शुक्रवार 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो गई है।वहीं छठ व्रती 18 नवम्बर शनिवार को खरना एवं 19 नवम्बर रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। वहीं 20 नवम्बर सोमवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान का विधिवत समापन हो जाएगा।इस पर्व के पवित्रता का विशेष महत्व है।शास्त्रों में द्वादश आदित्यों की कल्पना भगवान सूर्य की द्वादश शक्तियों के रूप में की गयी है। भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता माने जाते हैं।इनकी पूजा की परंपरा बहुत पहले से भारत में ही नही बल्कि विश्व में व्याप्त है, क्योंकि सूर्य के प्रकाश से ही चन्द्र भी प्रकाशित होते हैं एवं तारे भी चमकते हैं जो अनेक ग्रहों, नक्षत्रों के रूप में माने जाते हैं। भगवान सूर्य के कारण ही दिन तथा रात का वर्गीकरण सम्भव हो पाता है।आधुनिक वैज्ञानिक कृष्टिकोण से भी सौर ऊर्जा महत्वपूर्ण मानी जाती है। सूर्य की पूजा करने का विधान तो संध्योपासन में भी है, जिससे मानसिक एवं शारीरिक ऊर्जाएं प्राप्त होती हैं। इसके अतिरिक्त हमारी भारतीय संस्कृति भगवान सूर्य को परब्रह्म के रूप में मानती है। छठ पूजा पौराणिक काल से चली आ रही है, जिसका निर्देश लौकिक छठव्रत की कथाओं, मान्यताओं एवं महिलाओं द्वारा गाये जाने वाले गीतों में मिलता है और यह प्रत्यक्ष भी है।

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