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DHANBAD:धनबाद सीट के लिए कांग्रेस ने शार्ट लिस्टिंग कर ली है। काफी मशक्कत के बाद प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी ने संभावित उम्मीदवारों के तीन नाम का पैनल बनाया है।
तीन नामों में पहला नाम अशोक सिंह का है। दूसरे और तीसरे नंबर पर जलेश्वर महतो और ददई दुबे हैं।
ददई का नाम इसलिए कि वे कई बार विधायक और एक बार धनबाद से सांसद भी रहे हैं। लेकिन संसदीय कार्यकाल को छोड़कर ददई का कभी दीदार- दर्शन भी धनबाद वासियों को नसीब नहीं हुआ। उम्र भी सत्तर पार है। और एक बार पार्टी से बगावत कर टीएमसी का भी दामन थाम चुके हैं। ऐसे में पार्टी का उनके प्रति नजरिया कुछ अच्छा नहीं है।
दूसरे पायदान पर नामित जलेश्वर महतो भी अभी पिछले चुनाव के पूर्व ही कांग्रेस परिवार के सदस्य बने हैं। इसके पूर्व ये भी दो दफा विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इनके साथ कई नकारात्मक पहलू हैं। पहला ये कि गठबंधन का उम्मीदवार होने के बावजूद वे पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे।
इसके पूर्व भी विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त खाये हुए हैं।
इतना ही नहीं अपने घर में वे पंचायत चुनाव में अपने किसी भी पारिवारिक सदस्य को जिताने में असफल रहे हैं।ऐसे में पार्टी इनपर दांव लगाएगी,संदेह है।
पहली पसंद के उम्मीदवार अशोक सिंह ने पिछले एक दशक में कांग्रेस के बैनर तले धनबाद से बोकारो तक के शहर से देहात के कोने कोने में दर्जनों कार्यक्रम आयोजित कर डंका बजाया है।
कांग्रेस के लोग ही इन्हें लंगड़ी मारने में लगे रहे। लेकिन इन चीजों की परवाह किये बगैर अशोक सिंह अपने मिशन में लगे रहे। कोरोना काल में जब सारे कांग्रेसी घरों में दुबके पड़े थे,अशोक सिंह ने दवा के साथ एम्बुलेंस मुहैया कर खुद लुबी सर्कुलर रोड में जमे हुए थे। महिला सशक्तिकरण शिविर हो या दलित सम्मान समारोह अपनी गंठरी खोलकर पार्टी के आयोजनों को सफल बनाया।
आज चुनाव मेला आया तो लोग बरसाती मेढक की तरह टर टराने लगे हैं। कांग्रेस ने अगर सूझबूझ से टिकट देने का अंतिम निर्णय नहीं लिया तो मिट्टी पलीद होना तय है। अगर मोदी की गारंटी के दौर में भाजपा से धनबाद में कोई लोहा ले सकता है तो वो शख्स अशोक सिंह ही है।
आगे पार्टी टिकट बेच दे या किसी को किसी कारण से उपकृत करे,वह पार्टी का मसला है।