
झारखंड राज्य के धनबाद जिले के झरिया में सन 1992 की पटाखा कांड की घटना आपको याद ही होगा।25 अक्तूबर 1992 को झरिया के सिन्दुरीयापट्टी में दर्दनाक घटना घटित हुई थी।इस घटना में कुल 29 लोगो की मौत हुई थी।इस घटना को आज भी झरिया वासियों के दिल मे गवाह के रूप में मौजूद है।
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दीपावली आते ही झरिया वासियों का दिल दहल जाता है।एक-एक घर से कई लाशें निकली थी. कई लाशों की पहचान भी नहीं हो पाई थी।बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव सहित कई मंत्री और अधिकारी पहुंचे थे।पटाखाकांड के मृतकों के आश्रितों के नियोजन का मामला अभी भी सरकारी फाइल में दबा हुआ है।यह अविभाजित बिहार के जमाने की घटना है।
वर्ष 1992 की 25 अक्टूबर की शाम थी। हर ओर दीपावली की खुशियां लोगों को खुशी से सराबोर कर रहीं थीं। बाजारों में खरीदारों की भीउ़ लगी थी। तभी शाम साढ़े चार बजे सिन्दुरिया पट्टी में निकली एक चिंगारी ने पटाखों की दुकान में आग भड़का दी थी। इस घटना ने पूरे देश को दहला दिया था। 29 लोग काल के गाल में समा गए थे। करीब चार दर्जन से अधिक घायल हो गए थे।घटना के बाद आठ साल तक झरिया में पटाखा बिक्री पर रोक लग गई थी। किसी तरह लाइसेंस निर्गत कर पटाखा दुकानें वर्ष 2000 के बाद चालू हुईं। पूर्व में एक दुकान होती थी।
अब एक दर्जन से अधिक लाइसेंसी दुकानें हो गई हैं। कई दुकानदार बेचने के साथ-साथ बनाने का भी काम कर रहे हैं, जो गैरकानूनी है।अब बात करते है 2023 के समय की पुलिस व जिला प्रशासन अपनी अपनी नजर तेज की हुई है।ताकि अवैध रूप से गैर कानूनी तरीके से पटका बिक्री पर बिल्कुल रूप से बैन लगाई हुई है ताकि कोई घटना ना घटे।अगर कोई बेचता हुआ दिखे तो तुरंत स्थानीय थाना व जिला उपायुक्त को सूचना दे।