Dhanbad,news,शब-ए-बारात 18 को, तैयारियां जोरों पर,सज रहा है अल्लहा का घर झहा लोग करते है नमाज अदा व इबाद्दत…
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शब-ए-बारात 18 को, तैयारियां जोरों पर,सज रहा है अल्लहा का घर झहा लोग करते है नमाज अदा व इबाद्दत…
DHANBAD:NEWSTODAYJ,शब-ए-बारात की रात जागकर इबादत करने का पर्व शबे ए बारात शुक्रवार को मनाया जायेगा। इसे लेकर जिले के सभी मस्जिदों की साफ सफाई व कब्रस्तानो में भी तैयारियां पूरी कर ली गई।धनबाद जिले के सबसे घनी घोर छेत्र वासेपुर माना जाता है झहा धनबाद पुलिस की लगातार पैनी नज़र बनी रहती है,शबे ए बारात को लेकर गुरुवार को ए एस पी व बैंक मोड़ थाना की पुलिस ने हर चौक चोराहो का जायज़ा लिया और फ्लैग मार्च किया ताकि अमन व शांति से पर्व को मनाया जा सके।
क्या है शबे ए बारात!
शब-ए-बारात को इबादत का त्योहार कहा जाता है। इसे दुवा,प्रार्थना की रात भी कहा जाता है। त्योहार के नाम में दो महत्वपूर्ण शब्द हैं, ‘शब’ का अर्थ रात और ‘बारात’ का अर्थ मासूमियत है। शब-ए-बारात की रात में मुसलमान जो इस दुनिया मे नही रहे रिश्तेदारों और अपनो की कब्रों पर जाकर उनके लिए दुआएं मांगते हैं। इसके अलावा अपने किए गुनाहों से भी तौबा करते हैं। शब-ए-बारात के मौके पर कई मुसलमान दो दिनों का रोजा भी रखते हैं।शब-ए-बरात को मनाने के पीछे क्या वजह है?
शब-ए-बारात को मनाने की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद द्वारा की गई थी। पैगंबर मुहम्मद ने अपनी पत्नी हजरत आयशा से एक दिन कहा था कि उन्हें एक दिन का उपवास रखना चाहिए और पूरी रात अल्लाह की इबादत में बितानी चाहिए। उसी वक्त से शब-ए-बारात को मनाने की प्रथा चली आ रही है।
शब-ए-बरात को लेकर और इस रात को मनाने की परंपरा के बारे में कुरान में ज्यादा कुछ नहीं लिखा है।
मान्यता ये है शब-ए-बारात में इबादत करने वाले सभी लोगों के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।इसलिए लोग पूरी रात जागकर शब-ए-बारात में अल्लाह को याद करते हैं और अपने किए की माफी मांगते हैं। कहा जाता है कि अल्लाह इस रात जिनके गुनाहों की माफी देते हैं उनके जन्नत के दरवाजे खोल देते हैं।