Corona Update:लौट रहा कोरोनावायरस का नया रूप ओमिक्रोन,रेजिडेंट डॉक्टर का एक पूरा बैच हड़ताल पर
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NEWSTODAYJ_नई दिल्ली : मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर(Medical Infrastructure) मामले में हम पहले से ही पिछड़े हैं और अस्पतालों में नीट पीजी काउंसलिंग(NEET PG counselling) में देरी होने की वजह से रेजिडेंट डॉक्टर(resident doctors) का एक पूरा बैच अस्पतालों में काम करने के लिए नहीं आ पा रहा है.
डॉक्टर अभी भी पीजी(PG) में एडमिशन का इंतजार कर रहे हैं और उनका यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. अगर जून(June) महीने की तरह कोरोनावायरस(coronavirus) फिर नए वेरिएंट(new variant) के रूप में तबाही मचाना शुरू कर दे तो इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा कि देश भर में कितनी तबाही मचेगी.
एक तरफ कोरोना वायरस(corona virus) की नए वैरिएंट ओमिक्रोन(omicron) फिर पूरी दुनिया में प्रकोप फैलाना शुरू कर तीसरी लहर(third wave) के आहट का संकेत दे रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना वॉरियर्स(corona warriors) नीट पीजी एडमिशन के मुद्दे को लेकर अस्पतालों की ओपीडी(OPD) सेवाएं ठप कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं.ओमिक्रोन के रूप में लौट रहा कोरोना लेकिन रेजिडेंट doctors हड़ताल परमेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर मामले में हम पहले से ही पिछड़े हैं और अस्पतालों में नीट पीजी काउंसलिंग में देरी होने की वजह से रेजिडेंट डॉक्टर का एक पूरा बैच अस्पतालों में काम करने के लिए नहीं आ पाए हैं. डॉक्टर अभी भी पीजी में एडमिशन का इंतजार कर रहे हैं और उनका यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.अगर जून महीने की तरह कोरोनावायरस फिर नए वेरिएंट के रूप में तबाही मचाना शुरू कर दे तो इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा कि देश भर में कितनी तबाही मचेगी. इस गंभीर मुद्दे को लेकर दिल्ली समेत देशभर के प्रमुख मेडिकल कॉलेज(medical colleges) एवं हॉस्पिटल(hospitals) में काम करने वाले रेजिडेंट डॉक्टर्स धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन(FAIMA) के नेशनल चेयरमैन डॉ गणेश बताते हैं कि इस बार मेडिकल स्टूडेंट का एक पूरा बैच मेडिकल कॉलेज में नहीं आ पाया है. आजादी के बाद यह पहली घटना है. शुरुआत में कोरोना की वजह से परीक्षा में देरी हुई. जनवरी-फरवरी में होने वाली परीक्षा सितंबर महीने में ली गई और जिनकी काउंसलिंग(counselling) मार्च से लेकर मई महीने तक पूरा हो जाता था और मेडिकल स्टूडेंटस कॉलेज में आ जाते थे, लेकिन यह साल खत्म होने वाला है और यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में पड़ा हुआ है.
डॉ गणेश बताते हैं कि किसी भी हॉस्पिटल की रीढ़ की हड्डी रेजिडेंट डॉक्टर होते हैं. पूरी ओपीडी(OPD) सेवा की जिम्मेदारी इन्हीं की कंधो पर होती है. पहले से ही डॉक्टर की कमी की समस्या से जूझ रहे अस्पतालों में डॉक्टर काफी कम हो गये हैं. ऐसे में अगर कोरोनावायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रोन का प्रकोप बढ़ जाए तो कोरोना मरीजों की देखभाल कौन कर पाएगा ? पूरे देश में हेल्थ इमरजेंसी(health emergency) जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी.
डॉ गणेश ने सरकार से जल्द से जल्द काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी कर रेजिडेंट डॉक्टर्स की एक बैच को अस्पतालों में काम करने का रास्ता साफ करने की मांग की है ताकि अगर तीसरी लहर भी आती है तो इसका डटकर मुकाबला किया जा सके. पिछले कई हफ्तों से सरकार से इस मामले को लेकर बात की जा रही है. स्वास्थ्य मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री से बात करने की कोशिश की लेकिन सरकार की तरफ से कोई गंभीरता दिखाई नहीं दी. मजबूर होकर हमें हॉस्पिटल की ओपीडी सेवाएं बंद करनी पड़ी ताकि सरकार पर हम दबाव बना सकें. सरकार जल्दी से निर्णय ले और सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई को फास्ट ट्रैक(fast-track) फैसला कर जल्द ही कॉउंसलिंग का रास्ता साफ करें.