विवेक के परिपक्व होने पर वैराग्य से प्रज्ञा-प्रखर ज्ञान का उदय होता है-आचार्य देवप्रकाशानंद
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(बोकारो)
विवेक के परिपक्व होने पर वैराग्य से प्रज्ञा-प्रखर ज्ञान का उदय होता है-आचार्य देवप्रकाशानंद…..!
बोकारो न्यूज़ डेस्क !
चास।शनिवार को प्रभात कॉलोनी, चास में साधकों ने पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ गुरु सकास एवं पं†चजन्य का अभ्यास किया।
आनंद मार्ग प्रचारक संघ के त्रिदिवसीय प्रथम संभागीय सेमिनार के दूसरे दिन आनंद मार्ग जागृति, प्रथम सत्र में साधकों को संबोधित करते हुए…..!
केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य देवप्रकाशानंद अवधूत ने कहा कि विवेक के परिपक्व होने पर वैराग्य से प्रज्ञा-प्रखर ज्ञान का उदय होता है। जब प्रज्ञा परिपक्व होती है तो ऋतुम्भरा प्रज्ञा का उदय होता है जो ज्ञान की उच्चतम एवं शुद्धतम अवस्था है। प्रज्ञा सम्पद विषय की चर्चा करते हुए कहा कि दैहिक सम्पद से बड़ा है मानसिक सम्पद और मानसिक सम्पद से बड़ा और सर्वश्रेष्ठ है प्रज्ञा सम्पद और आत्मज्ञान…..!
इस अवस्था को पाने के लिए पंचकोष की साधना, जप क्रिया और ध्यान क्रिया निष्ठापूर्वक करनी होगी
मौके पर आचार्य ब्रजप्राणानंद अवधूत, आचार्य प्रीतिशानंद अवधूत, केंद्रीय जनसंपर्क सचिव आचार्य हरीसानंद अवधूत, आचार्य रमेंद्रानंद अवधूत, अवधूतिका आनंदरुद्रवीणा आचार्या, आचार्य नवरुणानंद अवधूत सहित सैकड़ों अन्य सन्यासी एवं आनंदमार्गी उपस्थित थे…..!