ट्रेंच खोदे जाने को लेकर पैदल मार्च
1 min read
लातेहार।
ट्रेंच खोदे जाने को लेकर पैदल मार्च
लातेहार। वन विभाग द्वारा रैयत भूमि के साथ ग्रामीणों की कब्जे वाली भूमि पर ट्रेंच खोदे जाने से सांसद के गोद लिए गांव में उबाल है। झारखंड राज्य किसान सभा एवं किसान स्वयं सहायता समूह चेटुआग के बैनर तले ग्रामीण महिला-पुरूषों का समूह पैदल मार्च निकाला। कल गांव से लेकर अंचल कार्यालय तक पैदल मार्च कर ग्रामीणों ने इसका विरोध जताया। ग्रामीण पैदल मार्च करते कामता, शुक्रबाजार अलौदिया, रेलवे स्टेशन, क्रॉसिग, सुभाष चैंक, मुख्य पथ, इंदिरा चैंक होते अंचल कार्यालय पहुंचे। पैदल मार्च यहां सभा मे तब्दील हो गया। रैली में शामिल लोगों ने जमीन हमारी माता है, इसे मत छीनो, जान देंगे लेकिन कब्जे वाली फॉरेस्ट जमीन नहीं छोड़ेंगे, गरीब आदिवासी किसानों को वन भूमि से बेदखली पर रोक लगाओ, वन विभाग होश में आओ, भाजपा सरकार होश में आओ, वनवासियों के कब्जे वाले फॉरेस्ट भूमि का वन अधिकार कानून के तहत पट्टा दो समेत अन्य नारे लगाए। धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम को संबोधित करते किसान सभा जिला अध्यक्ष ने कहा कि रैयती भूमि ट्रेंच के अंदर करने वाले वन कर्मियों पर कानूनी कारवाई की जरूरत है। मार्च का नेतृत्व किसान सभा के जिला अध्यक्ष सह माकपा नेता अयूब खान व किसान स्वंय सहायता समूह के अध्यक्ष अनिल मुंडा ने संयुक्त रुप से किया। सभा की अध्यक्षता पुसा मुंडा ने की। वन विभाग द्वारा ट्रेंच खोदे जाने के कारण उनके घर व खेत ट्रेंच के अंदर चले गए है।
उस वनवासी इलाके में वन अधिकार अधिनियम के तहत वर्ष 2017 में राजस्व कर्मचारी, वनपाल, अंचल अमीन, ग्राम वन समिति अध्यक्ष व सचिव ने संयुक्त रूप से स्थल निरीक्षण किया था। ग्राम सभा में अनुमोदन भी किया गया बावजूद अबतक उन्हें वन पट्टा नहीं मिला। चेटुआग, अठुल्ला, पहना पानी, पोक्या और परहिया टोला इलाके में वन भूमि पर दशकों से निवास करने वाले सैंकड़ो किसानों को वन पट्टा नहीं मिलने से उनके समक्ष जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है। कहा कि कृषि ही इनके जीविकोपार्जन का साधन है। यदि इनसे जमीन छीन ली गई तो इनका वजूद ही मिट जाएगा। वन विभाग के अधिकारी फॉरेस्ट राइट एक्ट का उल्लंघन कर रहे हैं।