अनकही दास्तान:जितेंद्र के कलम से कुछ दिल को छू लेने वाले शब्द भगवान एक है…
1 min read
NEWSTODAYJ_अनकही दास्तान:मुहम्मद साहब ने भी देखा, इसु ने भी देखा नानक जी भी देखें, महत्मा बुध ने भी देखा, शंकराचार्य ने भी देखा जितने महर्षि हुए सबने भगवान को अपने अपने नजरिए से देखा लेकिन देखा सबने एक ही भगवान को और जो जिस नजरिया से देखा वैसा ही ब्यख्या कर डाला और वही पंथ बन गया लेकिन भगवान एक ही है जिसे सभी ने देखा। उदाहरणार्थ जब कंस के सभा में कृष्ण और जनक के दरबार में राम पहुंचे तो सबने अलग अलग रुपों में भगवान को देखा और अपना आराध्य मान बैठा । फिर अपने अपने नजरिए से उनकी आराधना और स्तुति करने लगे। इसी निष्कर्ष पर पहुंच कर हमारे महर्षियों ने मानव धर्म कि परिकल्पना की ।
यह भी पढ़े….जरा हटके:2 इंजीनियर नौकरी के बाद लगाते हैं बिरयानी का ठेला,हजारों में होती है कमाई
और हम भारतवासी सबका स्वागत कर मानव धर्म को सर्वोपरि माना और उसका स्वागत किया। और अपने महर्षियों के द्वारा एक नारा दिया ” बसुधैव कुटुंबकम् ” मित्रों हमलोगों को भी पंथ से उपर उठकर मानवता और मानव धर्म को प्राथमिकता देनी चाहिए । इसी में सनातन धर्म का मुल छिपा है।
ढाई अक्षर प्रेम का पढै सो पंडित होए