
Supreme Court Moratorium Hearing : लोन के पुनर्भुगतान पर रोक 2 साल तक बढ़ सकती है , सुप्रीम कोर्ट से केंद्र , बुधवार को सुनवाई होगी…
- आरबीआई और केंद्र सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच के सामने दलील दी कि केंद्र संकटग्रस्त क्षेत्रों पर पड़े।
- स्थगन की अवधि वैसे भी दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। बेंच ने जोर देकर कहा कि उसे योग्यता के आधार पर कई अन्य मुद्दों पर भी फैसला लेना है।
NEWSTODAYJ नई दिल्ली : केंद्र और रिजर्व बैक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लोन के पुनर्भुतान पर रोक (मोरेटोरियम) 2 साल तक के लिए बढ़ाई जा सकती है।आरबीआई और केंद्र सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच के सामने दलील दी।
कि केंद्र संकटग्रस्त क्षेत्रों पर पड़े असर के अनुसार यह तय करने के लिए इन क्षेत्रों की पहचान करने की प्रक्रिया में है कि किस तरह की राहत दी जा सकती है।उन्होंने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि केंद्र ने आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत शक्तियों पर अपना जवाब दायर किया है और अदालत से केंद्र, आरबीआई, बैंकर संघों को एक साथ बैठक करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
बेंच ने जवाब दिया कि वो पिछली तीन सुनवाई के दौरान इस बैठक के बारे में सुनती आ रही है।मेहता ने कहा कि वे उधारकर्ताओं के वर्ग की पहचान करेंगे।बेंच ने कहा कि वो इस मुद्दे पर कुछ ठोस चाहती है।मेहता ने दोहराया कि स्थगन की अवधि वैसे भी दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। बेंच ने जोर देकर कहा कि उसे योग्यता के आधार पर कई अन्य मुद्दों पर भी फैसला लेना है।
और जानना चाहा कि क्या अगले दो दिनों में इस पर कोई फैसला हो जाएगा?मेहता ने कहा कि अदालत हलफनामे को देख सकती है और इसके आधार पर दो दिनों में मामले को उठा सकती है। बेंच ने फिर जानना चाहा कि क्या दो दिन में फैसला लिया जा सकता है? मेहता ने कहा कि संभव नहीं है।जिस पर, बेंच ने कहा कि वो बुधवार को मोरेटोरियम अवधि के दौरान ईएमआई पर ब्याज की माफी, या ब्याज पर छूट की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।