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Politics Dhanbad : कार्यकर्ता आधारित पार्टी का दम भरने वाली BJP अब कांग्रेस की राह चली ?….
- जिला कमिटि एवं मंडल समितियों के घोषणा होने के बाद भाजपा में विस्फोट होने की संभावना है।
- पुराने व समर्पित भाजपाईयों की जगह विधायक एवं सांसद अपने अपने खास समर्थकों को जिला एवं मंडल कमिटि में रखवा रहे हैं।
NEWSTODAYJ धनबाद : कार्यकर्ता आधारित पार्टी का दम भरने वाली भाजपा अब कांग्रेस की राह चली है। अब भाजपा के आंतरिक संगठन चुनाव में इलेक्शन के जगह सेलेक्सन के आधार पर हो रहा है। जिला कमिटि एवं मंडल समितियों के घोषणा होने के बाद भाजपा में विस्फोट होने की संभावना है।पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला कमिटि एवं मंडल अध्यक्षों का चयन सर्व सहमति या चुनाव के बजाय विधायक एवं सांसद आदि के जनप्रतिनिधियों के पंसद पर किया जा रहा है।
इससे कई निष्ठावान एवं पुराने भाजपायी हाशिए पर ढकेले जा रहे हैं। पुराने व समर्पित भाजपाईयों की जगह विधायक एवं सांसद अपने अपने खास समर्थकों को जिला एवं मंडल कमिटि में रखवा रहे हैं।ऐसे में धारदार विपक्ष की भूमिका में कितने आंदोलनात्मक कार्यक्रम सफल होगें यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। हालांकि पार्टी की ओर से जिला प्रभारी भी बनाये गये हैं। वैसे प्रभारियों को क्षेत्र का दौरा कर जमीनी स्तर और प्रभावी कार्यकर्ताओं को चिन्हित कर उन्हें संगठन में जगह दिलाये जाने की जिम्मेवारी भी दी गयी है।
परन्तु बताया जाता है कि ऐसे प्रभारी भी जनप्रतिनिधियों के हां से हां मिला रहे हैं।उल्लेखनीय है कि प्रदेश भाजपा की ओर से धनबाद जिला में भाजपा के दो दो जिलाध्यक्ष क्रमंशः शहरी एवं ग्रामीण बनाये गये हैं। जहां ग्रामीण जिलाध्यक्ष की जिम्मेवारी हाल ही में भाजपा में आये ज्ञान रंजन सिन्हा को दी गयी है। जबकि शहरी क्षेत्र में पुनः चंद्रशेखर सिंह को बनाया गया है। ग्रामीण जिलाध्यक्ष ज्ञान रंजन सिन्हा को लेकर पार्टी के अंदर काफी रोश होने की बात कही जा रही है।
असंतुष्ट भाजपाईयों ने इसके लिए प्रदेश नेतृत्व से मिलने का समय मांगा है।स्थिति को भांपते हुए प्रदेश नेतृत्व करोना की आड़ में फिलहाल समय देने से इंकार कर रहे हैं।ग्रामीण जिला कमिटि घोषित होने के बाद तीनों विधानसभा क्रमशः टुंडी , निरसा एवं सिन्दरी के असंतुष्ठ भाजपाई काफी संख्या में पार्टी मुख्यालय रांची जाने की तैयारी कर रहे है। बताया जाता है कि पहले भाजपा में बुथ के अध्यक्ष मंडल अध्यक्ष का चुनाव करते थे। जबकि मंडल अध्यक्ष एवं जिला प्रतिनिधि, जिलाध्यक्ष का चुनाव करते थे। इसमें चुनाव या सर्वसम्मति दोनों होता था। कुल मिलाकर पार्टी सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उससे आने वाले दिनों में पार्टी के अंदर विद्रोह की स्थिति बन रही है।