शाही मस्जिद शादीपुर में अफ्तार पार्टी का आयोजन हिंदुस्तान के चैनो अमन की मांगी गई दुआ
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(गया)
शाही मस्जिद शादीपुर में अफ्तार पार्टी का आयोजन हिंदुस्तान के चैनो अमन की मांगी गई दुआ….!
गया:-/शाही मस्जिद शादी पुर इस्लाम नगर चाक्नंद की ओर से दावते इफ्तार रखा गया वही अपको बताते चले की सबेक़दर की रात मे पूरी रात इबादत की गई और अल्लाह ताला से लोगो के लीये अमन चैन की दुआ मांगी गई साथ मे लोगो की गुनाह की भगरिफत के लीये दुआ मांगी गई वही इस मौके पर मस्जिद के इमाम जनाब मोहम्मद इस्पाक, अहमद कादरी, सिकंदरी मोहम्मद इम्तियाज शाह, प्रगति सील मंच के प्रदेश सचिव मोहम्मद सईद शाह, मोहम्मद नईम शाह, मोहम्मद कलीम शाह ,मोहम्मद आजाद शाह, मोहम्मद फैयाज शाह, मोहम्मद शमशाद अंसारी, मोहम्मद जहांगीर शाह, मोहम्मद बबलू शाह, मोहम्मद रियाज शाह ,मोहम्मद शाहरु शाह, आदि मौजूद थे ।
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मुस्लिम समुदाय के लोग इस पूरे महीने रोजा (व्रत) करते हैं और भूखे-प्यासे खुदा की इबादत करते हैं. रमजान के महीने में सेहरी और इफ्तार का समय हर रोज कुछ मिनट आगे-पीछे होता है. सबसे पहले बता दें कि रोजा रखने की शुरुआत सुबह सेहरी से की जाती है. सेहरी मतलब दिन निकलने से पहले रोजे रखने वाला इंसान अपनी इच्छा के अनुसार कुछ खा-पीकर दुआ पढ़ता है और रोजे की नीयत करता है उसका रोजा शुरु हो जाता है. वहीं इफ्तार शाम के समय की जाती है जिसका मतलब होता है व्रत खोलना पहले रोजे की सेहरी तड़के सुबह 4.25 बजे की है और इफ्तार का समय ठीक 6 .25 होता है
शाम को इफ्तार के समय मुस्लिम रोजेदार लोग एक साथ बैठकर खजूर और पानी से अपना रोजा खोलते हैं. ऐसा होता है कि रमजान के इस पाक महीने में सेहरी और इफ्तार का समय हर रोज कुछ मिनट आगे पीछे होता है साथ ही रमजान के इस पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग सच्चे दिल से रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते हैं. पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं. इसके साथ ही रमजान के इस पाक महीने में कुरान शरीफ पढ़ने का काफी महत्व माना जाता है.
इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोग रमजान के पाक माह में किताब कुरान को पढ़ते हैं. बता दें कि रमजान के पवित्र महीने में मस्जिदों में रात में होने वाली ईशा की नमाज के तुरंत बाद तरावीह की नमाज का पड़ा जाता है. जैसे कई मस्जिदों में 3 दिन में कुरान शरीफ पूरा किया जाता है तो कई मस्जिदों में कुरान पूरा करने के लिए 27 दिनों का समय लिया जाता है. कुरान पूरी होने के बाद खुशी में इस पाक ग्रंथ सुनाने वाले मस्जिद के पेशइमाम को नजराने के रूप मे तोहफे और पैसे दिया जाता है.।।NEWSTODAYJHARKHAND.COM