लगातार हो रहे घाटे को लेकर एमटीएनएल और बीएसएनएल के विलय की तैयारी। पढ़ें पूरी खबर……….
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नई दिल्ली।
लगातार हो रहे घाटे को लेकर एमटीएनएल और बीएसएनएल के विलय की तैयारी। पढ़ें पूरी खबर……….
नई दिल्ली। भारत के दूरसंचार विभाग के वित्तीय हालात इन दिनों नाजुक चल रहे है और वह नकदी संकट से जूझ रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों एमटीएनएल और बीएसएनएल को पटरी पर लाने के लिए दूर संचार विभाग विलय की योजना पर काम कर रहा है। मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि इन कंपनियों को पटरी पर लाने के लिए जिन चीजों पर विचार किया जा रहा है उनमें विलय भी एक है। इस बारे में अंतिम फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल करेगा। यह कदम इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि महानगर टेलीफोन निगम लि.(एमटीएनएल) और भारत संचार निगम लि. (बीएसएनएल) को लगातार घाटा हो रहा है और हाल के समय में उन्हें अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने में भी दिक्कतें आई हैं। सूत्र ने कहा, ‘कुल पुनरोद्धार योजना में विलय का विकल्प भी शामिल है। इस पर अंतिम फैसला मंत्रिमंडल को करना है।’ उसने कहा कि योजना यह है कि एमटीएनएल का बीएसएनएल में विलय कर दिया जाए। एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में टेलीफोनी सेवाएं देती है, जबकि शेष सर्किलों में बीएसएनएल सेवाएं देती है। दूरसंचार विभाग इन कंपनियों के ‘बचाव’ के लिए पुनरोद्धार पैकेज पर काम कर रहा है। इसमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस), संपत्ति का मौद्रिकरण और 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन जैसे विकल्प हैं। संसद में दी गई सूचना के अनुसार बीएसएनएल का घाटा 2018-19 में बढ़कर 14,202 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। बीएसएनएल के कर्मचारियों की संख्या 1,65,179 है। कंपनी की कुल आमदनी में से कर्मचारियों के वेतन भुगतान की लागत 75 प्रतिशत बैठती है। वहीं निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल के कर्मचारियों की संख्या 20,000 है और कर्मचारियों की लागत कंपनी की आय का मात्र 2.95 प्रतिशत है। इसी तरह वोडाफोन के कर्मचारियों की संख्या 9,883 है और कर्मचारियों की लागत उसकी आय का 5.59 प्रतिशत बैठती है। एक अप्रैल, 2019 को बीएसएनएल का नेटवर्थ 34,276 करोड़ रुपये (लेखा परीक्षण के बिना और अस्थायी) था। वहीं एमटीएनएल का नेटवर्क नकारात्मक 9,735 करोड़ रुपये था।