दिल्ली: कोरोना की पहली लहर थमते ही कई राज्यों ने दिखाई लापरवाही :केंद्र ने कहा
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दिल्ली: कोरोना की पहली लहर थमते ही कई राज्यों ने दिखाई लापरवाही :केंद्र ने कहा
NEWSTODAYJ_दिल्ली:केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना महामारी की पहली लहर थमते ही राज्य कोरोना के प्रति एकदम से लापरवाह हो गए। महामारी से निपटने के लिए बने अस्थाई अस्पतालों को ही नहीं हटाया, बल्कि टीकाकरण अभियान में गंभीर सुस्ती दिखाई।
विपक्ष शासित अधिकतर राज्यों ने जनवरी से मार्च महीने तक उपलब्ध कराए गए टीकों का बमुश्किल एक तिहाई टीका ही इस्तेमाल किया। ज्यादातर राज्य फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्यकर्मियों के टीकाकरण अभियान में राष्ट्रीय स्तर को छू भी नहीं सके। आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से मार्च तक उपलब्ध कराए गए टीके के प्रति लापरवाही हैरान करने वाली है। पहली लहर खत्म होने और दूसरी लहर की शुरुआत के बीच राज्यों ने आपराधिक लापरवाही बरतते हुए टीकाकरण अभियान को प्रतीकात्मक बना कर रख दिया।
कहां कैसा रहा टीकाकरण अभियान
आंध्रप्रदेश में जनवरी से मार्च तक केंद्र ने 65.5 लाख टीके उपलब्ध कराए। राज्य में इनमें से महज करीब 26 लाख टीके का इस्तेमाल हुआ। केरल ने 62 लाख में से 34 लाख, तेलंगाना ने 42 लाख में से 13 लाख, महाराष्ट्र ने 1.43 करोड़ में से 62.1 लाख, दिल्ली ने 43.6 लाख में से 23.66 लाख, राजस्थान ने 1.5 करोड़ में 57.2 लाख, पंजाब ने करीब 29 लाख उपलब्ध टीकों में महज 8.4 लाख टीकों का ही इस्तेमाल किया। इसी प्रकार झारखंड ने करीब 30 लाख टीकों में से 16 लाख तो छत्तीसगढ़ ने 43 लाख टीकों में से 16 लाख टीकों का ही इस्तेमाल किया।
बड़े पैमाने पर बर्बाद हुए टीके
सरकार के मुताबिक राज्यों ने न सिर्फ टीके के इस्तेमाल में सुस्ती दिखाई, बल्कि रखरखाव के अभाव और लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में टीके बर्बाद भी हुए। केरल में चार जून तक 6.33 लाख, तेलंगाना में 2.25 लाख, महाराष्ट्र में 11.65 लाख, दिल्ली में 1.82 लाख, राजस्थान में 4.76 लाख, पंजाब में 1.43 लाख और झारखंड में 51,000 टीके बर्बाद हुए। इनमें से ज्यादातर राज्य फ्रंटलाइन वर्कर्स और स्वास्थ्यकर्मियों के टीकाकरण में भी लापरवाही बरती। इसके कारण कई राज्य 84 फीसदी टीकाकरण के राष्ट्रीय औसत से बहुत पीछे रहे।
सरकार-भाजपा बनाएगी मुद्दा
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, विपक्ष ने टीका के खिलाफ शुरू से ही माहौल बनाया। इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। उसके बाद टीकों की कमी का रोना रोया। जबकि आंकड़े बताते हैं कि विपक्ष की मंशा टीकाकरण को फेल करने की थी। सीधी सी बात है कि विपक्ष ने टीकाकरण के खिलाफ गंभीर साजिश रची। हम इस मुद्दे को व्यापक स्तर पर उठाएंगे।