डुमरी में नाड़ी परीक्षण कार्यक्रम का आयोजन। पढ़ें पूरी खबर…..
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डुमरी।
डुमरी में नाड़ी परीक्षण कार्यक्रम का आयोजन। पढ़ें पूरी खबर…..
डुमरी। आर्ट ऑफ लिविंग बैंगलोर के द्वारा वन्दना स्टेशन बाजार में संचालित श्री श्री नाड़ी परीक्षण कार्यक्रम आयोजित की गई।कार्यक्रम में आर्ट ऑफ लिविंग के चिकित्सक डॉ.कुन्दन कुमार ने अस्थमा बीमारी के बारे में बताया।कहा कि अस्थमा कोई बड़ा रोग नहीं है और इसका सही समय पर इलाज करा जड़ से निदान पाया जा सकता है।
बताया कि बार-बार खांसी का आना,सांस की परेशानी रहना व छाती से सीटी की तरह से आवाज आने की समस्या अस्थमा के लक्षण है।कहा कि जब किसी को अस्थमा का दौरा पड़ता है तो वह गहरी सांस लेने लगता है, जितनी मात्रा में व्यक्ति ऑक्सीजन लेता है उतनी मात्रा में वह कार्बन डाईऑक्साइड बाहर नहीं निकाल पाता।
ऐसे समय में दमा रोगियों को खांसी आ सकती है,सीने में जकड़न महसूस हो सकती है,बहुत अधिक पसीना आ सकता है और उल्टी भी हो सकती है।अस्थमा के रोगियों को रात के समय,खासकर सोते हुए ज्यादा कठिनाई महसूस होती है।बताया की अस्थमा एवं एलर्जी पीड़ितों के लिए बदलता मौसम बड़ा खतरनाक होता है।क्योंकि मौसम बदलने के पश्चात जो धूल उड़ती है उससे कीटाणुओं को फैलने-पनपने का मौका मिल जाता है।बताया कि वातावरणीय कारकों से फैल रही एलर्जी के कारण अस्थमा के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।इसके साथ बदलती जीवनशैली और प्रदूषण के कारण भी अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं।बताया कि कुछ आयुर्वेदिक औषधियां इसमें काफी कारगर साबित हुई हैं।क्या होता है अस्थमा श्वास नलियों में सूजन से चिपचिपा बलगम इकट्ठा होने, नलियों की पेशियों के सख्त हो जाने के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसे ही अस्थमा कहते हैं। अस्थमा किसी भी उम्र में यहां तक कि नवजात शिशुओं में भी हो सकता है।
अस्थमा के यह हैं लक्षण इस प्रकार है जैसे बार-बार खांसी होना, सांस लेते समय सीटी की आवाज आना,छाती में जकड़न होना,दम फूलना,खांसी के साथ कफ न निकल पाना,बेचैनी होना आदि।बताया कि इसका बचाव जैसे धूल,मिट्टी, धुआं,प्रदूषण होने पर मुंह और नाक पर कपड़ा ढकें। सिगरेट के धुएं से भी बचें।ताजा पेन्ट, कीटनाशक,स्प्रे,अगरबत्ती,मच्छर भगाने की कॉइल का धुआं, खुशबूदार इत्र आदि से यथासंभव बचें।रंगयुक्त व फ्लेवर,एसेंस, प्रिजर्वेटिव मिले हुए खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।