जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन का उद्देश्य गरीबों की सेवा करना। पढ़ें संस्था क्या करती है काम…?
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रांची।
जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन का उद्देश्य गरीबों की सेवा करना। पढ़ें संस्था क्या करती है काम…?
रांची। झारखंड की राजधानी रांची में जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन की शुरुआत 5 नवंबर 2017 को हुए थी। आज संस्था ने 2000 से भी अधिक शवों और मरीज़ों को घर तक पहुँचाने का काम कर लिया ।
जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन का उद्देश्य गरीबों की सेवा करना है इस वजह से सुरुआत में 100 किलोमीटर की दूरी रखी गई थी लेकिन बहूत से ग़रीब मरीज़ जो झारखंड के बाहर से जो 100 किलोमीटर दूरी से भी आते थे और वे इतने ग़रीब थे की उतनी दूर की वजह से अपने मरीज़ों को नहीं ले जा सकते थे।लेकिन संस्था ने अपने नियम को तोड़ कर 100 किलोमीटर दूरी से भी अधिक का सफ़र तय करके की सुरुआत की थी।जिसमे मरीज़ों और शवों को कलकत्ता ,बिहार ,पटना ,पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहा,दुमका,गोड्डा,बंगाल , देवघर जैसे शहरों के अलावे 500 किलोमीटर से भी ऊपर की दूरी तय करके उनहे उनके घर तक पहुचाँया ।जिंदगी मिलेगी फाउंडेशन ने तमाम कठिनाइयों के बावजूद अपनी सेवा मानवता के नाते इमानदारी से संस्था के द्वारा करते आई है और इसमे संस्था के सभी मेंबरों की बड़ी अहम भूमिका रही है सभी ने इस संस्था को चलाने में अपना पूरा सहयोग दिया है । फिलहाल 4 एम्बुलेंस की सहायता सें रिम्स में रह कर फ्री एम्बुलेंस से ग़रीब मरीज़ों को सहायता के रूप में दी जा रही है।
जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को फ्री में एंबुलेंस सेवा मुहैया करना है ताकि गरीब और जरूरतमंद शवो को सम्मान के साथ उसके घर तक पहुंचाने में सहायता दी जाए। अपने 15 महीने के कार्यकाल में लगभग 2000 लोगो को फ्री एंबुलेंस सेवा दी। साथ ही साथ एम्बुलेंस में मुफ्त में बोतलबंद पानी,फोन तक की भी सुविधा दी जा रही है ताकि दुख के घड़ी में किसी तरह की परेसानी ना हो ।संस्था ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए फ्री एम्बुलेंस के साथ साथ मरीज के परिजनों को उसके साथ घर ले जाने के लिए एक पौधा भी दे रही है ताकि पर्यावरण हरा भरा रखा जा सके।
इस संस्था के अध्यक्ष अश्विनी राजगढ़िया, आलोक अग्रवाल ,अरविंद मंगल ,हर्षवर्धन बजाज , जयप्रकाश सिंघानिया , निखिल केडिया ,रमन साबू , सौरभ मोदी ,विक्रम साबू , विपुल अग्रवाल , विनीत अग्रवाल और विवेक सदस्य है । इनकी एक सोच के कारण ही इस संस्था की शुरुआत गरीबों की मदद के लिए हुई।