आतंकवाद बना चुनौती
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लेख
आतंकवाद बना चुनौती
(लेखक-डॉ. भरत मिश्र प्राची)
अभी हाल ही में जम्मू – कश्मीर के पुलवामा जिले में घटित आतंकवादी घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया जिसमें आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद से जुड़ा आतंकवादी आदिल अहमद के विस्फोटक बम से लदी कार के टक्कर से देश के सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये जो अपने घर को लौट रहे थे। इस आतंकी घटना ने आज सोचने को मजबूर कर दिया कि आतंकवाद से देश को कैसे निजात दिलाया जाय जब कि इस मामलें में इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने में पाक में पल रहे आतंकी गिरोहों का हाथ होना बताया जा रहा है। आज देश में आतंकवादी हमले दिन पर दिन तेज होतें जा रहे है। सीमा पर आतंकवादी गतिविधियां राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में तेजी से उभरती नजर आ रही हैं। जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित विश्व को शांति संदेश देने वाला आज भारत हो रहा है। जहां धार्मिक एवं क्षेत्रवाद के उन्माद को भड़काकर अशांति फैलाने का प्रयास यहां किया जाता रहा है
जिसे प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रुप से आतंकवादी गतिविधियों को पनाह किसी न किसी रुप में यहां मिलता रहा है । इस तरह के परिवेश देश के अंदर तेजी से उभरते जा रहे हैं, जहां देश की सुरक्षा फिर से खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है। निश्चित तौर पर इस तरह की कार्यवाही देश को अशांत कर विकास मार्ग से अलग करने की सोची-समझी विश्व-स्तरीय चाल से जुड़ी लगती है। इस तरह की गतिविधियों को निश्चित तौर पर स्वार्थी तत्वों का संरक्षण मिल रहा है। जिनके लिये देश में अर्थ सर्वोपरि है। इस तरह के हालात उन सभी के लिये शोचनीय है, जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर चलते हैं। देश है तो राजनीति है, ऐसे हालात में एक-दूसरे पर टीका-टिप्पणी करने के बजाय सभी को मिलजुलकर आतंकवादी से जुड़ी हर गतिविधियों का विरोध करना चाहिए। इस तरह की घटना पर पाक सरकार मौन है। पाक में पनाह ले रहे आतंकवादी गिरोहों को संरक्षण पाक सरकार द्वारा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मिल रहा है तभी तो इस तरह की घटनाएं देश के भीतर एवं सीमा पर घट रही है। जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों की घटनाएं, देश के भीतर देश के खिलाफ नारे लगने वालों की उपस्थिति आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने के संकेत है, जिनके माध्यम से आतंकवादी देश की व्यवस्था में खलल पैदा करना चाहते है। इस तरह की घटनाओं को पग पसारने में देश के राजनीतिक दल वोटों की राजनीति के लिये आतंरिक रूप से मददगार हो रहे है। जिसके कारण आज जम्मू – कश्मीर के पुलवामा जिले में इतने बडी आतंकी घटना को अंजाम देने में पाक में पनाह ले रहे आतंकवादी संगठन सफल हो गये। इस घटना ने एक बार फिर से पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया कि पड़ौसी पाक से किस तरह के संबंध बनाये जाय जिससे इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद मिल सके । इस मामलें में यह तो तय है कि पाक सरकार आतंकवादी गिरोह से अपने आप को अलग किसी भी हाल में नहीं कर सकती। पाक में पल रहे आतंकवादी संगठनों को पाक के अलावे विदेश के अन्य देशों से भी अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण मिल रहा हैए जिसके माध्यम से वे देश के भीतर अशांति का महौल पैदा करने में आज तक सफल होते आये है। इस दिशा में पाक के अलावे देश के भीतर से भी संरक्षण मिल रहा है जिसके कारण आतंकवादी गतिविधियां पनाह ही नहीं ले रही , हमारी अस्मिता पर भी चोट कर रही है। इस दिशा में देश की सीमा एवं देश के भीतरी भाग में पनाप रही आतंकवादी घटनाओं की पृृष्ठभूमि पर विचार करनाा जरूरी है। जब पड़ौसी पड़ौसी की ही परिभाषा को नहीं समझ पा रहा है। फिर उसके साथ पड़ौसी धर्म निभाने की ऐसी कौनसी मजबूरी आ गई, जिसके तहत सभी बंद द्वार खोल दिये जाते रहे, जिन रास्तों से देश के भीतरी भाग तक आतंकवादी पसर गये। कब कहां बम विस्फोट हो जाय, कह पाना मुश्किल है। आज का समय राजनीति करने का नहीं रह गया है। वैसे आज पुलवामा की घटना ने सभी राजनीतिक दलों को इस दिशा में सोचने को मजबूर कर दिया है, जहां देश के सभी राजनीतिक दल इस मामलें में एक स्वर में मुखरित नजर आ रहे है। सभी इस मामलें में सरकार के साक्ष खडे नजर आ रहे है। यह एक शुभ संकेत है जिसके सहारे आनेवाले समय में आतंकवाद से लड़ले एवं निजात पाने का सुगम रास्ता मिल सकता है। फिर भी इस दिशा में सभी को मिलकर देशहित में आवश्यक कदम उठाने होगे। जो देश के भीतर देश के खिलाफ नारे लगायें, जो देश की सेनाओं पर पत्थर फेंके, हमला करें ऐसे लोगों से किसी भी तरह की हमदर्दी नहीं रखनी चाहिए। ऐसे लोग इस देश के हो ही नहीं सकते जो देश में रहकर देश के खिलाफ अपनी अतिविधियां जारी रखे। देश में पनप रही निजी सेनाओं को रोका जान भी बहुत जरूरी है जिनके माध्यम से अतंकवादी गिरोह पनाह पासकता हे। पाक जो अपने यहां आतंकवाद को पनाह दे रहा है, उसके साथ राजनीतिक संबंध किस तरह रखा जायए मंथन किया जाना चाहिए। सेना को पूरा अधिकार आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का मिलना चाहिए, जैसा पुलवामा की घटना के बाद सरकार ने निर्णय लिया है। इस मामलें में किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए। सेना कर हर जवान हमारे लिये महत्वपूर्ण है जिसकी हिफाजत करना हर देशवासियों का कर्तव्य है। जब वह सुरक्षित है तो देश सुरक्षित है। आज आतंकवाद सभी के लिये चुनौती है, जिसके खिलाफ एक होकर हमें लड़ाई लडनी होगी। इसके लिये जरूरी है कि सबसे पहले अपनी सीमाओं से आतंकवादियों की घुसपैठ पर तत्काल रोक लगाने की ठोस कार्यवाही करें । इसके बाद देश की सीमा क्षेत्र एवं भीतरी भाग में फैले सक्रिय आतंकवादी संगठनों एवं उसकी गतिविधियों को तत्काल समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम उठायें। राजनीति एवं तुष्टीकरण की नीति का परित्याग करें।इस तरह के कदम बिना युद्ध के आतंकवाद को जड से समाप्त करने में मददगार साबित हो सकते हैं।